बजट में कृषि के लिए बड़े दावें, लेकिन घाटे से उबारने के लिए कोई व्यवस्था नही : नरेश चौधरी

Time Report ब्यूरों : भारतीय किसान यूनियन (संयुक्त मोर्चा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि NDA सरकार ने पहले बजट में बड़े बड़े दावें किए लेकिन धरातल पर शून्य नजर आते हैं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के दावे किए गए लेकिन व्यवस्था कोई नही की। किसानों को 50 फीसदी मार्जिन मनी देने का वादा पूरा किया गया है। लेकिन कृषि में रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद किसान की आय में वृद्धि नहीं हुई।

नरेश चौधरी ने कहा कि कृषि बाज़ार बिचौलियों के हाथ में है और बजट में जीडीपी ग्रोथ के दावे है लेकिन रोज़गार नहीं बढ़े? महंगाई समायोजित करने के बाद कृषि बजट में वृद्धि नाममात्र की है। प्राकृतिक खेती एवं दलहन तिलहन मिशन पुरानी स्कीम है। किसानों की आमदनी बढ़ने एवं खेती के प्रोत्साहन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। खाद्य महंगाई के बावजूद किसानों की आय में बढ़ोतरी नहीं हुई। गांवों में फिलहाल महंगाई दर सात फीसदी से ज्यादा है, इसका सीधा असर गांवों में ट्रैक्टर, बाइक, उपभोक्ता उत्पादों की मांग पर पड़ा है।

यह भारत में ग्रामीण आय घटने का सबसे लंबा दौर है। महंगाई बढ़े तो किसान की कमाई भी बढ़नी चाहिए। जिंसों की कीमत बढ़ने से शुरुआत में किसानों को लाभ होता है मगर बाद में नुकसान उठाना पड़ता है।भारत में यह मशीन उल्टी चल रही है। हां रोज़गार घटने का असर बजट पर दिखाई दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रति असंतोष की 2024 लोकसभा चुनाव में झलक दिखी लेकिन बजट में फिर भी अन्नदाता की अनदेखी की गई है। अभूतपूर्व सब्सिडी, मुफ़्त अनाज़ फिर भी गांवों में वोट प्रतिशत घट गया।

 

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