Time Report Amroha : किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन ( संयुक्त मोर्चा ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को ख़रीफ की 14 फसलों पर लिए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को नाकाफी बताते हुए कहा कि खेती की लागत के हिसाब से कीमतों में की गई बढ़ोतरी नाकाफी है।
भारतीय किसान यूनियन (संयुक्त मोर्चा) संगठन द्वारा केंद्र सरकार द्वारा ख़रीफ की 14 फ़सलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वृद्धि किए जाने के फैसले पर बुधवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों के साथ सरकार ने एक बार फिर धोखा किया है। किसानों की बहुप्रतीक्षित मांग है कि एमएसपी पर कानून बनाया जाना चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार एमएसपी की घोषणा सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की तर्ज़ पर प्रतिशत में क्यों नहीं करती? उन्होंने कहा कि देखा जाए तो देश का किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से आधी कीमतों पर फसलें बेचने को मज़बूर है। किसानों की सरकार से मांग है कि एमएसपी से कम कीमत पर फ़सलों की ख़रीद को अपराध घोषित करे। और सरकारी ख़रीद पर एमएसपी लागू होना चाहिए।
किसान नेता नरेश चौधरी ने कहा कि एमएसपी न मिलने से किसानों को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों की सबसे बुनियादी ज़रुरत यही है कि उन्हें फसलों की एक निश्चित तय कीमत मिलनी चाहिए। यदि सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई के मद्देनजर हर साल दो बार महंगाई भत्ता बढ़ा कर फायदा दिया जा सकता है तो ऐसा किसानों के लिए क्यों नहीं?
नरेश चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा जो एमएसपी घोषित की है किसान उसे कानूनी अधिकार के तौर पर नहीं मांग सकता है। अगर एमएसपी गारंटी योजना के तहत कानून बनता है तो हो सकता है कि एमएसपी का लाभ जो अभी तक छह फीसदी किसानों को मिलता है। हो सकता है कि इसकी तादाद आने वाले समय में बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच जाए।
भारतीय किसान यूनियन (संयुक्त मोर्चा) अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि एमएसपी कानून बनने में पूंजीपति रोड़ा बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है अधिक से अधिक कृषि मंडियों का निर्माण हो। कहा कि स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट कहती है कि हर पांच किलोमीटर के क्षेत्र में एक मंडी होनी चाहिए। इससे भी सार्थक बदलाव आएंगे।