विधान परिषद में गूंजा पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा, पत्रकार अधिनियम बनाने की उठी मांग

Time Report Amroha : पत्रकार सुरक्षा अधिनियम बनाने, पेंशन, हैल्थ कार्ड आदि पत्रकार हित की योजनाओं को लागू करने हेतु सरकार से बजट में प्रावधान करने आदि मुद्दों की पुरज़ोर हिमायत करने पर सदस्य विधान परिषद आषुतोष सिन्हा का जनपद के पत्रकारों ने आभार जताया। पत्रकारों की बैठक में पत्रकारिता व पत्रकारों से जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया।

बताया गया है कि जनपद पत्रकारों से जुड़ी समस्याओं के निराकरण हेतु गठित मान्यता प्राप्त पत्रकारों की स्थाई समिति की जिलेवार बैठक होती थीं जिसमें मान्यता प्राप्त पत्रकारों के अलावा संबंधित जिले के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, और जिला सूचना अधिकारी मौजूद रहते थे। बैठक की कार्रवाई को शासन को भेजा जाता था।लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब पिछले काफ़ी समय से न तो बैठक बुलाई गई और न ही पत्रकारों की समस्याओं का संज्ञान लिया जाता है।

विडंबना देखिए समाचारों को लेकर संबंधित अधिकारियों का आधिकारिक पक्ष जानने का एकमात्र साधन सीयूजी फोन है,जिस पर रिस्पांस नहीं मिलता है ऐसे सीयूजी फोन भी निष्प्रयोज्य हो चले हैं। इसके अलावा सरकार द्वारा वरिष्ठ मान्यता प्राप्त व उनके परिजनों के लिए कैशलैस इलाज की सुविधा हेतु हैल्थ कार्ड, पेंशन दिए जाने की घोषणा को क्रियान्वित करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए अनुपूरक बजट में प्रावधान नहीं किया गया। बैठक बताया कि उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जहां पेंशन योजना अभी तक लागू नहीं की गई।

उपस्थित पत्रकारों ने बैठक में सदस्य विधान परिषद आशुतोष सिन्हा द्वारा उच्च सदन में पत्रकारों से जुड़े बुनियादी मुद्दों की पुरज़ोर हिमायत करने पर उनकी सराहना करते हुए उनका आभार व्यक्त किया गया।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नियम 115 के तहत पत्रकारों की सुरक्षा एवं मूलभूत सुविधाएं प्रदान किए जाने को लेकर सभापति का ध्यान आकृष्ट कराते हुए विधान परिषद सदस्य आषुतोष सिन्हा द्वारा कहा गया था कि पत्रकारों द्वारा सरकारी तंत्र में व्याप्त भृष्टाचार एवं अराजक तत्वों के ख़िलाफ़ ख़बरों को उजागर करने के दौरान उन्हें निरंतर तरह तरह धमकियां मिलती रहती हैं केवल धमकियां ही नहीं कहीं कहीं तो सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के अलावा मारपीट एवं अन्य दुर्घटनाएं होना आम बात है।

जिसके परिणामस्वरूप कई कलमकार तो अपनी जान तक गंवा चुके हैं। पत्रकारों की आर्थिक स्थिति भी छुपी हुई नहीं है, जिसके कारण उन्हें अपना व परिजनों का भरण-पोषण करने में काफ़ी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए पत्रकार सुरक्षा अधिनियम बनाने की सख़्त ज़रूरत है। श्री आषुतोष सिन्हा ने बनारस की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि जनपद वाराणसी में पत्रकारों को सर्किट हाउस में जाने से मना करने का तुग़लकी फ़रमान सुनाने वाले ऐसे तमाम अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर नज़ीर पेश करनी चाहिए।

सदस्य विधान परिषद ने उच्च सदन में बोलते हुए सरकार से समस्त पत्रकारों को 20 लाख रुपये तक का कैशलैस इलाज, पत्रकारिता क्षेत्र में आने वाले नये पत्रकारों को प्रोत्साहित करने हेतु 10 हज़ार रुपये एवं 20 वर्ष या इससे अधिक समय तक कार्यरत रहे वरिष्ठ पत्रकारों को 25 हज़ार रुपये प्रति माह गुज़ारा भत्ता तथा एक करोड़ रुपये तक का जीवन बीमा समेत अन्य लाभकारी कल्याण योजनाओं से लाभान्वित करने एवं स्थानीय आवास विकास व विकास प्राधिकरण (डेवलपमेंट अथॉरिटी) के माध्यम से नो फ्राफिट नो लॉस के आधार पर भवन/ प्लाट उपलब्ध कराया जाना जनहित में होगा।

आषुतोष सिन्हा ने आगे कहा कि जनहित में इस लोक महत्व के सुनिश्चित विषय पर सदन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए आवश्यक कार्रवाई की मांग करते हैं।
इस संबंध में शुक्रवार को समस्त पत्रकारों ने एक बैठक कर माननीय उच्च सदन, विधान परिषद सदस्य आषुतोष सिन्हा द्वारा पत्रकारों से जुड़ी मांगों और पत्रकारिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में पुरज़ोर हिमायत का स्वागत करते हुए उनके इस क़दम को सराहनीय बताया है। बैठक में वरिष्ठ पत्रकार डा. संतोष गुप्ता, महिपाल सिंह, डा. महताब अमरोही, डा. शाकिर अमरोही, बीएस आर्य, राकेश कुमार, मोमिन कुरैशी, ठाकुर तुलाराम, डा. तारिक अज़ीम आदि मौजूद थे।

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