यादों के झरोखे से-मोहर्रम….अमरोहा में खत्म हुआ सबसे ऊंचे ताजिए का रुतबा, पश्चिम यूपी में सबसे ऊंचे थे यहां के ताजिये

Time Report Amroha : यूपी के अमरोहा में दसवें मोहर्रम को निकाले जाने वाले ताजिए पश्चिम उत्तर प्रदेश में सबसे ऊंचे थे। यहां 150 फीट ऊंचे तक ताजिए निकाले जाते थे। जो आकर्षण का केंद्र थे। ताजियों का जुलूस देखने के लिए आसपास के जिलों से भी लोग आते थे, लेकिन योगी सरकार के एक फरमान से इन ताजियों की ऊंचाई पर शासन की कैची चल गई। 2023 के बाद से यहां अब केवल 30-40 फीट ऊंचे ताजियों का ही जुलूस निकाला जाता है।

मोहर्रम चुचैला कलां

अमरोहा में यूं तो जिले भर में मोहर्रम पर ताजियों का जुलूस निकाला जाता है लेकिन नौगावां सादात व चुचैला कलां में ताजियों का जुलूस अपनी ऊंचाई को लेकर प्रसिद्ध था। यहां पश्चिम उत्तर प्रदेश में सबसे ऊंचे ताजिए निकाले जाते थे। नौगावां सादात के बीलना में 120 फीट और चुचैला कलां में 150 फीट ऊंचे ताजिए निकलते थे, लेकिन 2023 से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शासनादेश जारी कर प्रदेश में कहीं भी 12 फीट से अधिक ऊंचाई के ताजिए निकालने पर पाबंदी लगा दी। जिसके पालन के लिए प्रशासन को सख्त आदेश जारी कर दिए। शासनादेश जारी होते ही अफसर भी हरकत में आ गए। ताजिया कमेटी के आयोजकों से वार्ता कर शासन की गाइडलाइंस के मुताबिक ही ऊंचे ताजिए निकालने की हिदायत दी।

मोहर्रम : चुचैला कलां में ताजिए निकालते अजादार (फ़ाइल फोटो)
अमरोहा के चुचैला कलां में 150 फीट ऊंचे निकलते थे ताजिए (फ़ाइल फोटो)

 

कस्बा निवासी व ताजिया कमेटी के पूर्व अध्यक्ष 70 वर्षीय बाबू अंसारी बताते है कि चुचैला कलां में मोहर्रम पर ताजिया निकालने की परंपरा 100 साल पुरानी है। पूर्व प्रधान संजय सागर कहते है कि कस्बे में ताजिए साझा संस्कृति के साथ निकाले जाते है। आज भी लोग इस परंपरा को निर्वाह कर रहे है। हिंदू समाज के लोग ताजियों का जुलूस निकालने के साथ ही चंदा तक भी देते है।

मोहर्रम : चुचैला कलां में ताजियों का जुलूस निकालते लोग

चुचैला कलां में निकाले जाने वाले ताजिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी ऊंचाई को लेकर प्रसिद्ध थे। ये ताजिए लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होते थे। खास बात यह है कि यह ताजिए इतने ऊंचे होने के बाद भी लोग उनको खींच कर ही निकालते थे। 2023 से अब यहां 35-40 फीट ऊंचे ताजिये ही निकाले जाते है। योगी सरकार के फरमान के बाद ताजियों की ऊंचाई को कम कर दिया गया।

ताजिए का इस्लाम धर्म से क्या तालुक?
इस्लाम के धर्मगुरुओं का कहना है कि ताजिए का इस्लाम धर्म से कोई सम्बंध नही है। हालांकि शिया समुदाय में इसको बेहद खास माना जाता है। सवाल उठता है तो फिर भारत में मोहर्रम पर ताजिए क्यों निकाले जाते है। ताजिये सुन्नी और शिया दोनों समुदाय के लोग निकालते है। इसके पीछे 1336-1405 के करीब बादशाह तैमूर लंग के द्वारा इसकी शुरुआत किया जाना, भारत में ताजिए निकाले की वजह माना जाता है। बताया जाता है कि तैमूर लंग शिया थे और आशूरा पर हर साल इमाम हुसैन की ज्यारत करने कर्बला जाते थे लेकिन बीमार पड़ने की वजह से एक साल वह वहां नही जा सके। इस वर्ष तैमूर लंग ने ताजिया बनवाया और मातम मनाया। तब से भारत सहित पाकिस्तान, बंग्लादेश और म्यामांर में ताजिए निकाले जाते है।

मोहर्रम
चुचैला कलां में मोहर्रम पर 2023 में ताजिए का जुलूस निकालते अजादार (फ़ाइल फोटो)

 

 

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