आज से देश में नया कानून लागू, अमरोहा में दर्ज हुआ नए कानून का पहला केस, जाने क्या है मामला ?

Time Report : देश में आज से लागू हुए नए कानून बीएनएस (BNS) के तहत यूपी का पहला केस अमरोहा में दर्ज किया गया है। यहां एक युवक ने गांव के दो युवकों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने अपने खेत के चारों ओर करंट के तार बिछा रखे हैं। ग्रामीण की तहरीर पर रहरा थाने में नए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई।

पहला केस : अमरोहा में दर्ज हुआ

अमरोहा पुलिस को दी तहरीर में पीड़ित ने बताया कि खेत के चारों बिछे करंट के तारों की चपेट में आकर मेरे पिता की मौत हो गई है। दोनों ही युवकों पर सख्त कार्रवाई की जाए। मृतक के बेटे ने आरोपियों के खिलाफ थाने में तहरीर दी है। जिसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ नए कानून के तहत BNS 106 में मुकदमा दर्ज किया है। ये मामला सोमवार सुबह साढ़े 6 बजे का है। पुराने कानून में इस मे केस में आईपीसी की धारा 304 लगती।

दूसरा केस : आगरा में दर्ज हुआ
नए कानून के तहत दूसरा केस प्रदेश में आगरा में दर्ज हुआ। यहां एक युवक ने बताया कि, वह बीयर की दुकान चलाता है। वह घर पर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता है। उसकी पत्नी किसी काम से अपने मायके गई हुई है। वो रात में दुकान से लौटकर आया। फिर खाना खाकर सो गया।

उसके घर में लगा जाल खुला हुआ था। उसी जाल से 3-4 अज्ञात लोग घर के अंदर आ गए और चोरी की घटना को अंजाम दिया। पुलिस ने युवक की तहरीर पर धारा 305 और धारा 331 के तहत केस दर्ज कर लिया है।

तीसरा केस : बरेली में दर्ज हुआ
तीसरा मामला बरेली में दर्ज हुआ है। जहां एक युवक ने तहरीर देते हुए बताया, मैं पीलीभीत में रहता हूं। मैं अपने एक माह के बेटे को दिखाने अपोलो अस्पताल में दिखाने आया था। जहां सुबह मुझे अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि मेरा बेटा अस्पताल से गायब हो गया है। पुलिस ने युवक की तहरीर पर धारा 97 के तहत केस दर्ज कर लिया है।

अस्तित्व में आए यह 3 नए कानून
देश में सोमवार को तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव आएंगे। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 आज से पूरे देश में प्रभावी हो गए हैं। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है।

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