Time Report Moradabad : हर जिम्मेदार मनुष्य को अपने हिस्से का सच कहने के लिए पत्रकारिता करनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में विश्व संवाद केंद्र में आयोजित “पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियां” विषय पर पिछले दिनों एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के जनपदों पर कार्यरत पत्रकारों के समक्ष चुनौतियों को लेकर गहरी चिंता जताई और इस संबंध में अपने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि (लखनऊ-दिल्ली) जैसे बड़े शहरों के मुकाबले जनपद स्तर पर पत्रकारों के समक्ष चुनौतियां कहीं अधिक हैं। जिले के पत्रकारों के पास सुरक्षा का कोई विशेष अधिकार नहीं हैं। उन्होंने पत्रकार सुरक्षा अधिनियम बनाने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इस पर ध्यान देना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि (जिला) पत्रकार और पत्रकारिता के सामने पहले भी चुनौतिया थीं और आज भी हैं।
पत्रकार के बिना टूट जाएगा समाज का संपर्क
आज के डिजिटल युग में चुनौतियों का स्वरूप थोड़ा बदला है। सोशल मीडिया की फेक न्यूज बड़ी समस्या बन गई है। आधी अधूरी और तथ्यहीन जानकारी लिए सोशल मीडिया ने आज हर आदमी को सिटीजन रिपोर्टर बना दिया है। जिस वज़ह से मीडिया का स्वरूप बदलता जा रहा है। मौजूदा समय में सिद्धांतों के साथ-साथ तकनीकी के क्षेत्र में भी मीडिया को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकार अगर बैठ जाएगा, तो समाज से उसका संपर्क टूट जायेगा।
विश्वनीयता और प्रामाणिकता का संकट
आज के दौर में ख़बरों को सिर्फ टच किया जाता है। पत्रकारिता में जीवंतता के लिए पत्रकारिता के सामने आज़ विश्वसनीयता और प्रामाणिकता का संकट है। पत्रकारिता के जनक नारद जी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कृष्ण जी ने महाराजा अग्रसेन को नारद जी के बारे में बताया कि नारद जी में प्रेम नहीं है, क्रोध नहीं है, चपलता नहीं है, किसी से कोई ईर्ष्या नहीं है, नारद जी अपनी प्रशंसा नहीं करते, नारद जी वेदों के ज्ञाता हैं, लोभ मोह आदि से दूर हैं, अर्थ की प्राप्ति से प्रसन्न नहीं होते, यही पत्रकार के गुण हैं।
आज के दौर में पत्रकारों के सामने चुनौतियां
मुरादाबाद विश्व संवाद केंद्र ने नारद जयंती के अवसर पर व्हाइट हाउस में पत्रकार गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी का विषय था “पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियां”। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में दूरदर्शन न्यूज के वरिष्ठ सम्पादक अशोक श्रीवास्तव, प्रोफेसर राजेश शुक्ला समेत वक्ताओं ने कहा की पत्रकार के सामने आर्थिक संकट बहुत अधिक है आज अभिभावक अपने बच्चों को डॉक्टर, वकील, इंजीनियर बनाना चाहता है लेकिन आर्थिक विषमताओं भरी पत्रकारिता के क्षेत्र में लाना नहीं चाहता।
पत्रकार समाज में संवेदनशील प्राणी
इससे पूर्व वरिष्ठ पत्रकार महिपाल सिंह ने कहा कि समाचार कोई निर्जीव वस्तु नहीं है, क्योंकि उसमें विचार, दृष्टियां, अभिप्राय और तात्पर्य निहित होते हैं। एक समाचार का निर्माण एक जीवंत और रचनात्मक प्रक्रिया है। पच्चीस तीस साल जिला पत्रकारिता में जो बिताए, वे अब बेमानी हो गए हैं। विद्वानों का मानना है कि जिला पत्रकारिता से जुड़े लोग समाज में सबसे संवेदनशील प्राणी होते हैं और चूंकि सामाजिक यथार्थ,वक्त की चुनौती,दृष्टि,इतिहासबोध और प्रतिबद्धता के बिना ख़बरें नहीं होती,सबसे बेहतर और ईमानदार,संप्रेषणीय रपट और कथा रिपोर्ताज भी वे ही लिखते हैं।
पत्रकार वही जो पहले मनुष्य है
समाचारों के पुराने पन्ने इसके गवाह हैं। समाज, समय, इतिहास, भूगोल, लोकतंत्र, मनुष्यता सभ्यता और लोकजीवन, जनता की तकलीफों, बेदखली, शोषण, अत्याचार, उत्पीड़न, हिंसा, घृणा, हत्या, बलात्कार, नरसंहार के इस दौर से जूझते एक जिला पत्रकार से सरकार, पक्ष-विपक्ष अथवा नीति निर्धारकों का कोई लेना-देना नहीं है? बताया जाता है कि पत्रकार वही है जो पहले मनुष्य है और किसी भी चीख में,किसी की भी पीड़ा में,किसी भी आपदा मे चाहे कोरोना काल क्यूं न हो चौबीस घंटे शामिल रहे हैं?
सच कहना ही पत्रकारिता
आज़ दुस्समय के चक्रव्यूह से जिला पत्रकारिता को निकालना सबसे बड़ी चुनौती है। कहते हैं कि (जिला) पत्रकार को सबसे ज्यादा जिम्मेदार होना चाहिए। किसी ने ठीक ही कहा है कि हर जिम्मेदार मनुष्य को अपने हिस्से का सच कहने के लिए पत्रकारिता भी करनी चाहिए। उप्र सरकार द्वारा घोषित पेंशन, आयुष्मान की तर्ज़ पर स्वास्थ्य कार्ड, सुरक्षा अधिनियम, जनपदों पर मुख्यमंत्री की प्रेस वार्ता, अधिकारियों के निष्प्रयोज्य सीयूजी , समाचारों का संज्ञान लेना, स्थाई समिति की नियमित बैठक आदि प्रमुख मुद्दे छाये रहे।
ये लोग रहे मौजूद
डी.एच. लारेंस के शब्दों में कहें तो….”जो भी पुरुष (जिला पत्रकार) निष्पाप है, निष्कलंक है, निड़र है, उसे प्रणाम करो, क्योंकि वह छोटा-मोटा ईश्वर है।” कार्यक्रम का समापन वन्देमातरम गायन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वरिष्ठ पत्रकार डॉ संतोष गुप्ता, मुरादाबाद-अमरोहा में यूएनआई से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार महिपाल सिंह, दैनिक सुनहरा तीर टाइम्स के संपादक नीरज गुप्ता समेत गणमान्य लोग उपस्थित रहे।