असल नतीजे क्या होंगे ये अलग बात हैं। दूसरी तरफ यूट्यूब पर मीडिया चैनलों ने भी एग्जिट पोल किया है। यूट्यूब के चैनलों ने India गठबंधन को बहुमत दिखाया है। वहीं NDA 250 सीटों तक रुकता नजर आ रहा है। कौन-सा एग्जिट पोल सही है या गलत यह तस्वीर तो 4 जून को ही साफ होगी।
ग्राउंड जीरो : क्या है मुरादाबाद मंडल की तस्वीर
मुरादाबाद मंडल में 6 लोकसभा सीटें है। जिन पर पहले, दूसरे और तीसरे चरण में मतदान हुआ है। असल नतीजे तो 4 जून को आएंगे लेकिन इससे पहले देखिए Time Report की यह विश्लेषण रिपोर्ट –
मुरादाबाद सीट- गठबंधन मजबूत
मुरादाबाद सीट मौजदा वक्त में सपा के पास थी। 2019 में भाजपा के सर्वेश सिंह को हराकर चुनाव जीता था। इस बार भी यहां भाजपा सपा के बीच सीधी टक्कर है। भाजपा से ठाकुर सर्वेश सिंह (चुनाव से अगले दिन देहांत हो चुका है) व सपा की रुचि वीरा के बीच कड़ा मुकाबला है। मुरादाबाद सीट वैसे तो मुस्लिम बाहुल्य है लेकिन सर्वेश सिंह की अच्छी छवि के चलते उनकी इलाके में खासी पैठ थी। जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता, लेकिन मुस्लिम-यादव की एक तरफा वोटिंग और रुचि वीरा के अपनी बिरादरी में सेंधमारी के चलते वह मजबूत दिख रही है।
रामपुर – गठबंधन मजबूत
उपचुनाव में भले ही यहां कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ कर भाजपा ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार सपा यहां मजबूती से चुनाव लड़ी है। रामपुर सीट मुस्लिम बाहुल्य होने के चलते आजम खान की नाराजगी के बाद भी मुस्लिम वोटरों का एक तरफा झुकाव सपा के पक्ष में रहा। यही सपा की जीत का मुख्य आधार है।
संभल -गठबंधन मजबूत
संभल सीट भी मुस्लिम बाहुल्य सीट है। करीब 55 फीसदी के करीब यहां मुस्लिम मतदाता है। 2014 में यहां मुस्लिम वोटों के बिखराव के चलते भाजपा ने जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार यहां मुस्लिम-यादव मतदाताओं की एकजुटता के चलते सपा के जिया उर्रहमान बर्क काफी मजबूत है। भाजपा केवल जीत का अंतर कम करती दिख रही है।
अमरोहा -भाजपा मजबूत
अमरोहा सीट पर 2019 में बसपा के दानिश अली ने जीत दर्ज की थी। इस बार पाला बदल कर वह कांग्रेस-सपा गठबंधन से लड़े है। भाजपा के कंवर सिंह तंवर से दानिश अली को कड़ी टक्कर मिल रही है। भाजपा के कोर वोट बैंक में 5 फीसदी सेंधमारी के चलते यहां नतीजे चौकाने वाले हो सकते है। बसपा यहां अंतिम समय में अपना कोर वोट बैंक संजोते हुए नजर आई है। जिसका फायदा गठबंधन प्रत्याशी को मिल सकता है फिर भी यहां भाजपा का पलड़ा ही भारी है।
बिजनौर-गठबंधन मजबूत
बिजनौर सीट पर बसपा की वजह से गठबंधन और भाजपा में सीधी टक्कर है। बसपा ने यहां जाट बिरादरी के प्रत्याशी को टिकट दिया था। भाजपा ने बिजनौर सीट रालोद के खाते में दी है। रालोद ने मीरापुर विधायक चंदन चौहान को प्रत्याशी बनाया था। चंदन चौहान के पिता संजय चौहान 2009 में बिजनौर से सांसद रह चुके है। वहीं गठबंधन ने यहां नूरपुर विधायक राम अवतार सिंह के बेटे दीपक सैनी को प्रत्याशी बनाया था। सैनी बिरादरी का दीपक के पक्ष में मतदान से यहां लड़ाई काटें की हो गई। सैनी बिरादरी को भाजपा का कोर वोट बैंक माना जाता है लेकिन यहां सिंबल कमल का फूल नही होने से सैनी बिरादरी का झुकाव दीपक सैनी की ओर हो गया। जिसका फायदा गठबंधन को मिलता दिख रहा है।
नगीना- भीम आर्मी मजबूत
नगीना सीट के नतीजे प्रदेश भर में चौकाने वाले होंगे। यह सीट यहां से भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद के चुनाव लड़ने की वजह से चर्चा में है। यहां मुस्लिम और एससी वोटों की खासी तादाद है। मुस्लिम समाज का 95 फीसदी रुझान चंद्रशेखर की ओर हो जाने से ऐनवक्त पर यहां एसएसी और पिछड़ा समाज का वोट भी चंद्रशेखर आजाद के पाले में चला गया। जिसके बाद यहां सपा और बसपा को सम्मान बचाने के लिए जूझना पड़ा है।
ये थे 2019 में नतीजे
2019 के नतीजों पर नजर डाले तो सपा-बसपा गठबंधन ने 2019 में भाजपा को मुरादाबाद मंडल से क्लिन स्वीप किया था। 2024 में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है। सिर्फ बिजनौर और अमरोहा सीट पर भाजपा कांटे की टक्कर में है। यदि इन दोनों सीटों पर भी जीत नही मिली तो मुरादाबाद मंडल में भाजपा का खाता नही खुल सकेगा। अमरोहा और बिजनौर दोनों सीटों पर कांटे की टक्कर है। प्रत्याशी चयन और गठबंधन की एकजुटता से बिजनौर सीट के सपा के खाते में जाने के ज्यादा चांस नजर आ रहे है। वहीं मुरादाबाद मंडल में इस बार बसपा का खाता खुलना असंभव है। 2019 में बसपा ने सपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़कर अमरोहा, बिजनौर और नगीना सीटों पर जीत दर्ज की थीं।